September 17, 2024

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पटना! जन सुराज लीडरशिप कॉन्फ़्रेन्स में 1 सितम्बर को बापू सभागार में बिहार के 38 जिलों और देश के अन्य राज्यों से शामिल हुए मुसलमानों का दिल से आभार व्यक्त किया गया। जन सुराज के संस्थापक सदस्य अशफाक़ रहमान और अवैस अंबर ने इस मौके पर मुसलमानों के समर्थन के लिए धन्यवाद कहा।

उन्होंने कहा, “यह पहली बार हुआ है कि मुसलमानों की इतनी बड़ी और सफल कॉन्फ़्रेन्स का आयोजन हुआ जिसमें बिहार के हर कोने से मुसलमान अपनी राजनीतिक भागीदारी के लिए उत्साह के साथ शामिल हुए। यह जन सुराज और प्रशांत किशोर के प्रति मुसलमानों का अटूट विश्वास दर्शाता है।”

प्रशांत किशोर मुसलमानों को राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। जिस ईमानदारी से वे मुसलमानों को बुला रहे हैं, उसी शिद्दत से मुसलमान भी उनका साथ दे रहे हैं। जन सुराज के संस्थापक सदस्य और रोज़माइन एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन अवैस अंबर ने इस जज़्बे और जागृति के लिए मुसलमानों का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर अवैस अंबर ने अपने कार्यालय में एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें अशफाक़ रहमान भी शामिल थे। उन्होंने कहा, “जन सुराज लीडरशिप कॉन्फ़्रेन्स से यह स्पष्ट होता है कि बिहार में बदलाव की एक बड़ी लहर चल रही है और मुसलमान अब इस बदलाव की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं।”

उन्होंने कहा, “प्रशांत किशोर इस बदलाव के मुख्य चेहरा हैं, जो बिहार के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जाकर लोगों की समस्याओं को समझने का काम कर रहे हैं। जन सुराज का मक़सद उनकी आवाज़ बनना और उन्हें राजनीति की मुख्यधारा में शामिल करना है।”

अशफाक़ रहमान और अवैस अंबर ने कहा कि उनका उद्देश्य न केवल बिहार में एक नया राजनीतिक वातावरण बनाना है, बल्कि समाज के हर वर्ग के हितों की रक्षा करना भी है। जन सुराज हर उस व्यक्ति की आवाज़ बनना चाहता है, जो अब तक अनसुनी रह गई थी।

प्रशांत किशोर, जो जन सुराज के सूत्रधार हैं, ने बिहार के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव लाने का संकल्प लिया है। उनका मानना है कि बिहार के लोगों के सशक्तिकरण के बिना राज्य की प्रगति संभव नहीं है। उनका दृष्टिकोण है कि राजनीति केवल सत्ता का खेल नहीं, बल्कि जनता की भलाई और समाज में समता और न्याय की स्थापना का माध्यम होना चाहिए।

उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य एक ऐसा बिहार बनाना है जहां हर नागरिक की आवाज़ सुनी जाए, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, या समुदाय से आता हो।”

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