पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग मंत्री ने राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र का भ्रमण कर लिया जायजा
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पटना।
डॉ० प्रेम कुमार, माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार द्वारा दिनांक 29.01.2015 को राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र, पटना, लॉ कॉलेज घाट, रानी घाट का भ्रमण किया गया एवं उनके द्वारा भवन को देखकर प्रसन्नता जाहिर की गयी।
शोध संस्थान के अंतरिम निदेशक एवं पटना वन प्रमंडल के वन प्रमण्डल पदाधिकारी श्री गौरव ओझा ने माननीय मंत्री को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। माननीय मंत्री ने शोध संस्थान के विभिन्न खंडो का बारीकी से अध्ययन किया गया तथा उन शोध प्रयोगशालाओं में होने वाले शोध कार्यों के बारे में वैज्ञानिक डॉ गोपाल शर्मा से विस्तृत जानकारी ली गयी। यह शोध केंद्र पटना विश्वविद्यालय के परिसर में 4400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है जिसका उद्घाटन 3 मार्च, 2024 को बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया है, जो तीन मंजिला भवन है। यह भवन 30 करोड 50 लाख रूपये की लागत से बनाया गया है।
माननीय मंत्री ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह भारत ही नहीं एशिया का पहला डॉल्फिन शोध संस्थान होगा जहाँ देश विदेश के शोधार्थी डॉल्फिन के ऊपर शोध कार्य करेंगे। केंद्र में तैयार होने वाले गंगा म्यूजियम की चर्चा करते हुए कहा कि इस म्यूजियम में गंगा के सभी फ्लोरा (वनस्पति) एवं फौना (जंतु) के प्रदर्श रखे जायेंगे जो एकदम हूबहू जिन्दा जैसा लगेगा।
इस भवन में डॉल्फिन का एक शव परीक्षण प्रयोगशाला भी होगा जिसमें डॉल्फिन के मरने के कारणों का पोस्टमॉर्टन विधि से पता लगाया जायेगा कि डॉल्फिन किस कारण से मरी है। इस भवन में मछुआरों को डॉल्फिन के बचाव, संरक्षण एवं सम्बर्धन का विधिवत प्रशिक्षण दिया जायेगा। देश विदेश से आने वाले वैज्ञानिकों को ठहरने एवं शोध करने की समुचित व्यवस्था की गयी है। आम लोगों को डॉल्फिन एवं अन्य संरक्षित जंतुओं की जानकारी देने के लिए भवन में डॉल्फिन व्याख्या केंद्र की स्थापना की जानी है जिसे जल्द ही शुरू किया जायेगा।
विदित हो कि बिहार देश का पहला राज्य है जिसमें वैज्ञानिकी शोध एवं सर्वे में पता चला है कि यहाँ की नदियों में अभी 1700 के आसपास डॉल्फिन है लेकिन कुछ कारणों से उनकी हत्याएं हो रही है जिसे रोकना है। अगर डॉल्फिन बचेगी तो इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा जिससे स्थानीय मछुआरों को ही फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि यह शोधकेंद्र डॉल्फिन को केंद्र बिंदु में रखकर अन्य संरक्षित जंतुओं यथा घड़ियाल, कछुए, उदविलाव विभिन्न प्रकार के देशी एवं प्रवासी पक्षियों का शोध होगा जो अपने आप में एक अनोखा संस्थान होगा। इस केंद्र में मानवबल एवं बजट का प्रावधान की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। जल्द ही पूर्ण रूपेण शोध का कार्य गति पकड़ेगा।
माननीय मंत्री द्वारा राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र की स्थापना पर्यावरण और वन्य जीव के शोध के प्रति मील का पत्थर बताया गया। डॉल्फिन को 2009 में राष्ट्रीय जल जीव घोषित किया गया एवं यह खुशी की बात है कि देश का एकलौता राष्ट्रीय डॉल्फिन शोध संस्थान बिहार राज्य में अवस्थित है। उनके द्वारा जन जागरूकता एवं जन भागीदारी की चर्चा करते हुए कहा कि मैं मछुआरों के गांव में खुद इस केंद्र के वैज्ञानिकों के साथ जाऊंगा और मछुआरों को डॉल्फिन के संरक्षण एवं सम्बर्धन के लिए जागृत करूँगा।
माननीय मंत्री द्वारा यह भी बताया गया कि डॉल्फिन को सुरक्षा देने के लिए बिहार के बक्सर से लेकर मनिहारी घाट तक पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार एवं अन्य स्टेक होल्डर के साथ पेट्रोलिंग किया जाएगा जिसमें मछुआरों को जाल में फंसे डॉल्फिन को निकालने की विधि के साथ साथ आमजनों को इस अभियान से जोड़ने का काम किया जाएगा। राज्य के प्रमुख स्थानों पर बड़े बड़े होर्डिंग लगाए जायेंगे जिससे इस जंतु की महत्ता के बारे में बताया जाएगा। नदियों के किनारे-किनारे जहाँ डॉल्फिन का अधिवास है पर भी बड़े बड़े होर्डिंग्स लगाए जायेंगे तथा शाम में नुक्कड़ नाटक गीत आदि के माध्यम से जनजागरूकता फैलाया जायेगा।