बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् से सम्बन्धित विषयों पर समीक्षात्मक बैठक
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डॉ० प्रेम कुमार, माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार की अध्यक्षता में अरण्य भवन, पटना के चतुर्थ तल स्थित संजय सभागार में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् से सम्बन्धित विषयों पर समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गयी। बैठक में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (HoFF) / प्रधान मुख्य वन संरक्षक-सह-मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक / अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्य नियोजना प्रषिक्षण एवं विस्तार, बिहार / निदेशक, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण, बिहार / मुख्य वन संरक्षक, प्रशासन एवं मानव संसाधन, बिहार/ मुख्य वन संरक्षक, संयुक्त वन प्रबंधन, बिहार / मुख्य वन संरक्षक-सह-राज्य नोडल पदाधिकारी, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन एवं आर्द्रभूमि, बिहार / वन संरक्षक, वन्यप्राणी अंचल / सदस्य सचिव, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, पटना तथा सचिवालय की ओर से संयुक्त सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार/माननीय मंत्री के आप्त सचिव द्वारा भाग लिया गया।
माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार द्वारा सूचित किया गया कि पटना सहित राज्य के अधिकांश शहरों में वायु प्रदूषण/जल प्रदूषण/ध्वनि प्रदूषण एक गंभीर समस्या का विषय बन गया है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा वायु प्रदूषण/जल प्रदूषण/ ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण हेतु की जा रही कार्रवाई की समीक्षा की गई।
➤ सर्वप्रथम पूर्व में दिनांक-10.12.2024 की समीक्षात्मक बैठक के अनुपालन के क्रम में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् द्वारा सूचित किया गया कि राज्य में अवस्थित नेशनल थर्मल पावर प्लांट की छः (6) ईकाईयों द्वारा ‘फ्लू गैस डीसल्फेराईजेशन इकाई’ (FGD) स्थापित किये जा रहे हैं। एन.टी.पी.सी. बाढ़, नवीनगर, बी.आर.बी.सी.एल., कहलगांव द्वारा 50 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक कार्य सम्पन्न किया गया है तथा एन.टी. पी.सी. कांटी एवं बरौनी द्वारा निविदा प्रकाशित की गयी है। सभी इकाईयों द्वारा यह कार्य निर्धारित समय सीमा-दिसम्बर 2026 तक पूर्ण करा लिये जाने का लक्ष्य है।
> जैव-चिकित्सा अपशिष्टः माननीय द्वारा पृच्छा की गई की राज्य में हॉस्पीटल, नर्सिंग होमों से निकलने वाले जैव-चिकित्सा अपशिष्टों के संग्रहण एवं निपटान की क्या व्यवस्था अपनाई जा रही है।
सदस्य सचिव, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा सूचित किया गया कि जैव-चिकित्सा अपशिष्ट (Bio-Medical Waste) को पर्यावरणीय अनुकूल तरीके से निपटान करने के लिए 04 सामूहिक जैव-चिकित्सा उपचार व्यवस्था / संयंत्र (Bio-Medical Waste Treatment Facility: CBWT) स्थापित है।
> पर्षद में मानव बल की कमी पर्षद में मानव बल की घोर कमी को दूर करने के लिये शीघ्र बहाली करने का निदेश माननीय मंत्री द्वारा दिया गया।
> ई-कचरा प्रबंधन ई० कचरा के प्रबंधन एवं निपटान के लिये निदेश दिया गया कि राज्य में ई० कचरा प्रसस्करण / पुनःचक्रण इकाईयों की स्थापना एवं उनका संचालन सुनिश्चित किया जाय।
> एकल उपयोग प्लास्टिक एकल उपयोग प्लास्टिक पर लगाये गये प्रतिबंध के बावजूद बाजारों में इसकी उपलब्धता पर नाराजगी जताते हुये माननीय द्वारा निदेश दिया गया कि सभी स्थानीय नगर निकायों में सिटी स्क्वाड के माध्यम से मिशन मोड में छापेमारी किया जाये एवं इसकी समीक्षा जिला पर्यावरण समिति द्वारा कराया जाय। जिला पर्यावरण समिति के संयोजक-सह-वन प्रमडंल पदाधिकारी इससे संबंधित प्रतिवेदन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परितर्वन विभाग एवं बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को संसूचित करेंगे। प्रखंड स्तर पर भी व्यापक प्रचार-प्रसार किये जाने की आवश्यकता बतायी गयी।
> सदस्य सचिव द्वारा बताया गया कि गंगा के जल में pH. DO, BOD, COD, TSS इत्यादि की मात्रा सामान्यतः मानकों के अधीन पायी जा रही है जबकि, Total Coliform (TC) एवं Faecal Coliform (FC) की मात्रा मानक से ज्यादा पायी जा रही है। इसके प्रमुख कारणों में गंगा के किनारे बसें शहरों से अनुपचारित मलजल का गंगा में प्रवाहित होना है। इसके लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा के किनारे बसे शहरों के लिए एस.टी.पी. का निर्माण बुडको के द्वारा किया जा रहा है, जिसमें पटना में 04 (बेउर, करमलीचक, सैदपुर एवं पहाड़ी), बाढ, सोनपुर, सुल्तानगंज, नौवगछिया में एस.टी.पी. संचालित है। मुंगेर, मनेर, छपरा, दानापुर एवं फुलवारीशरीफ में स्थापित एस.टी.पी. ट्रायल रन पर संचालित है। हाजीपुर, बेगूसराय, मोकामा, बख्तियारपुर के एस.टी.पी. का निर्माण कार्य 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है जबकि, फतुहा एवं भागलपुर के एस.टी.पी. का निर्माण कार्य 80 प्रतिशत पूरा किया जा चुका है। कहलगांव, डेहरी-ऑन-सोन, बरहिया एवं सुपौल के एस.टी.पी. का निर्माण विभिन्न अवस्थाओं में है। 07 एस.टी.पी. टेन्डर प्रक्रिया में तथा 11 का डी. पी.आर. तैयार किया जा रहा है। राज्य में कुल 507 नालाओं जिन्हें एस.टी.पी. के साथ नहीं जोड़ा गया है। उन नालाओं पर बायो-रिमिडिएशन तकनीक द्वारा नालों के जल को शोधित कर नदियों में प्रवाहित किया जा रहा है। माननीय मंत्री महोदय द्वारा संतोष व्यक्त किया गया एवं निदेश दिया गया कि गंगा एवं सहायक नदियों की गुणवत्ता बनाये रखने हेतु संबंधित जिला पर्यावरण समिति, जिसके संयोजक, वन प्रमंडल पदाधिकारी है, की बैठकों में इसकी समीक्षा की जाय।
> नदियों के किनारे कचरों को फेंका जाना बहुत स्थानों से शिकायतें प्राप्त हो रही है कि नदियों के किनारे ठोस कचरों को फेंका जा रहा है, जिसके कारण नदियों के प्रवाह पर कुप्रभाव पड़ता है, जिससे नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है. इसे तत्काल रोके जाने पर बल दिया गया। इस कार्य हेतु स्थानीय नगर निकायों द्वारा ठोस कचरा फेंकने वालों पर जुर्माना लगाना एवं फेंके गये ठोस अपशिष्टों को नदी के किनारे से हटाना शामिल है। इस कार्य हेतु स्थानीय नगर निकाय एवं जिला पर्यावरण समिति द्वारा भी कार्य किये जाने का निदेश दिया गया।
> गया धार्मिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहां फल्गू नदी पर रबर डैम्प का निर्माण किया गया है, जिसमें श्रद्धालुओं द्वारा स्नान किया जाता है इसकी महत्ता को देखते हुये बोधगया से गया तक विभिन्न स्थलों नदी के किनारे होर्डिंग के माध्यम से आम जनों को जागरूक किया जाये, जिससे नदी में ठोस अपशिष्टों, प्लास्टिक, निर्माण / विध्वंस सामग्री, घरेलू अथवा औद्योगिक बहिस्राव को नदियों में प्रवाहित नहीं किये जाने की अपील विज्ञापन के माध्यम से कराने का निदेश माननीय मंत्री के द्वारा दिया गया।
> पराली जलाने पर रोक राज्य सरकार द्वारा खेतों में पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। पराली जलाने वाले किसानों को सरकार से मिलने वाले अनुदान से 3 वर्षों के लिए वंचित किये जाने का प्रावधान है।
> अवैध ईंट-भट्ठों की सूची अवैध ईंट भट्टों के समीक्षा के दौरान सदस्य सचिव, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा सूचित किया गया कि पर्षद के संज्ञान में सभी ईट भट्टों (लगभग 5000 से उपर) को स्वच्छतर तकनीक में परिवर्तित करा लिया गया है। माननीय द्वारा निदेश दिया गया कि राज्य में चल रहे वैध ईट भट्टों की सूची तैयार कर संबंधित जिला पदाधिकारी को उपलब्ध कराते हुए उनके क्षेत्राधिकार में चल रहे अवैध ईंट भट्टों को तत्काल बंद करने एवं उसकी सूचना प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को उपलब्ध कराने का निदेश दिया गया।
माननीय मंत्री द्वारा बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किये गये प्रयासों की सराहना की गयी एवं लंबित कार्यों को ससमय पूरा कराने का निदेश दिया गया। साथ ही राज्य के मुख्य शहरों यथा पटना, गया एवं मुजफ्फरपुर के वायु गुणवत्ता सूचकांक का लगातार अनुश्रवण करते हुये मानक अनुरूप रखने हेतु सभी आवश्यक कार्य करने का निदेश दिया गया। माननीय मंत्री द्वारा आम जनों से अपील किया गया कि वायु प्रदूषण / जल प्रदूषण/ ध्वनि प्रदूषण इत्यादि समस्या से निपटने में हर संभव सहयोग किया जाय।