झालसा रांची के निर्देशानुसार एवं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार लोहरदगा के मार्गदर्शन में 31 जनवरी 2025 को सिविल कोर्ट परिसर स्थित सभागार में एक दिवसीय मल्टी स्टेक होल्डर्स कंसल्टेशन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में लोहरदगा जिले में प्रतिनियुक्त
विभिन्न थानों से आए पुलिस अधिकारी, एनजीओ प्रतिनिधि एवं अर्ध न्यायिक स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का उद्घाटन पीडीजे सह अध्यक्ष डालसा श्री राजकमल मिश्रा, प्रधान न्यायधीश कुटुंब न्यायालय श्री सुभाष, एडीजे द्वितीय श्रीमती नीरजा आसरी, डालसा सचिव श्री राजेश कुमार, लोक अभियोजक श्रीमती मिनी लकड़ा, डा स्मृति ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। वहीं पीडीजे सह अध्यक्ष डालसा ने श्री राजकमल मिश्रा ने कहा कि पॉक्सो काफी गंभीर प्रवृत्ति का अपराध है। जिसमें पीड़िता पर शारीरिक के साथ मानसिक प्रभाव पड़ता हैं। पोक्सो अधिनियम अंतर्गत चाइल्ड को लेकर परिभाषित किया गया है। जिसे साबित करना आवश्यक है। वहीं साबित करने से पूर्व साक्ष्य एकत्र करें। साक्ष्य दो प्रकार से एकत्र हो सकते मेडिकल साक्ष्य और दस्तावेजी साक्ष्य। उन्होंने कहा कि मामले पर संवेदनशील होना आवश्यक है। साथ ही मानवीय दृष्टिकोण अपना कर ही मामले को अच्छे तरह से अनुसंधान कर सकते हैं। वहीं प्रधान न्यायधीश कुटुंब न्यायालय श्री सुभाष ने कहा कि पॉक्सो काफी गंभीर मामला है। मामले में उम्र पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उम्र के आधार पर ही सजा का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि पीड़िता का मेडिकल आवश्यक है। साथ ही साक्ष्य को अच्छे ढंग से एकत्रित करें। लोक अभियोजक श्रीमती मिनी लकड़ा ने पॉक्सो मामले पुलिस द्वारा किए जाने वाले अनुसंधान के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पीड़िता किसी भी नजदीकी थाने में मामला दर्ज करा सकते हैं। वहीं यदि मामला दर्ज होने में देरी होने पर पुलिस को देरी होने के कारण को अंकित करना होता है। उन्होंने कहा कि पीड़िता की बातों को संवेदनशीलता के साथ सुने। साथ ही मामले पर अच्छे से साक्ष्य संग्रह करने व एफआईआर को सही और अच्छे ढंग से लिखने की बात कही। ताकि मामले को लेकर किसी प्रकार की समस्या नहीं हो। वहीं डा स्मृति ने पॉक्सो मामले में सही तरीके और बारीकी से साक्ष्य को एकत्र करने की बात कही। इसके पूर्व डालसा सचिव श्री राजेश कुमार ने कार्यशाला के उपस्थित लोगों को विषय वस्तु की विस्तृत जानकारी दी। वहीं उन्होंने बताया कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ किसी प्रकार से यौन शोषण करने वाले व्यक्ति पर इस एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है। इस कानून का निर्माण नाबालिक बच्चों के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, पोर्नोग्राफी और छेड़छाड़ के मामले को रोकने के लिए किया गया था। इस कानून के द्वारा अलग-अलग अपराधों के लिए अलग अलग सजा का प्रावधान है। वहीं उन्होंने पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न की परिभाषा और धाराओं, पोक्सो एक्ट 2012 के तहत शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया, पुलिस की जिम्मेवारी, सजा और जमानत, झूठ पोक्सो एक्ट केस करने पर होने वाले सजा आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं राष्ट्रीय गान के साथ कार्यशाला का समापन हुआ। मौके पर डा नेहा ज्योति, विभिन्न थानों के पुलिस अधिकारी, पीएलवी उपस्थित थे।