महामहिम राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आरलेलकर के बुलावे बावजूद शिक्षा सचिव केके पाठक राजभवन नहीं पहुंचे।
लगभग आधे घंटे तक इंतजार करने के बावजूद महामहिम राज्यपाल अपने ऑफिस से निकल अन्य कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निकल गए।
राजभवन की ओर से शिक्षा सचिव के के पाठक को सोमवार सुबह 10:00 बजे आने का पत्र भेजा गया था लेकिन उसके बावजूद वे राज भवन नहीं पहुंचे। राजपाल अपने ऑफिस में आधे घंटे तक इंतजार करने के बाद अन्य कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निकल गए।
सूत्र के अनुसार दूसरी ओर के के पाठक अपने कार्यालय में समय से आकर 2:00 तक बैठे रहे उसके बाद लंच पर निकल गए लंच करने के उपरांत 1 घंटे में वापस अपने ऑफिस में आ गए।
गौर तलब है कि पिछले कुछ महीनो से राजभवन एवं शिक्षा सचिव के पाठक के बीच अनबन चल रही है। राज भवन के अनुसार राज्यपाल कुलाधिपति होते हैं और इस नाते विश्वविद्यालय से जुड़े निर्णय लेने का अधिकार राज्यपाल को है ,वहीं दूसरी ओर शिक्षा विभाग का कहना है कि शिक्षा ,राज्य सरकार का अधिकार है इसलिए जो भी फैसले लिए जाते हैं या लेनी होते हैं उसका अधिकार सिर्फ शिक्षा विभाग को है।
वही विश्वविद्यालय के कुलपतियों का भी मानना है कि कुलाधिपति ही उनके प्रमुख हैं उनका ही आदेश मानने को वे वाद्य है ।शिक्षा विभाग उन्हें आदेश नहीं दे सकता और आज तक ऐसा ही होता आया भी था । उनके वेतन कटौती और बैंकों के खातों से निकासी पर रोक लगाने का अधिकार भी कुलाधिपति होने के नाते महामहिम राज्यपाल को ही है।
दूसरी ओर शिक्षा विभाग का कहना है कि अब तक छह बार विश्वविद्यालय अधिकारियों की बैठक बुलाई जा चुकी है लेकिन उस बैठक में एक बार भी विश्वविद्यालय अधिकारी उपस्थित नहीं हुए ।विभाग ने 8 अप्रैल को भी राज्य के सात विश्वविद्यालय के वीसी की बैठक बुलाई थी ,मगर उसमें भी वे लोग अनुपस्थित रहे।
हाल ही में निर्गत पत्र में क पाठक ने लिखा था कि राज्य विधायिका द्वितीय अधिनियम धारा 7 के तहत आदेश नहीं दे सकते हैं
राज भवन और शिक्षा सचिव की इस तकरार के करण विश्वविद्यालय की स्थिति खराब होती जा रही है, उनके पास पैसे हैं परंतु विभाग के सीजर के बाद वे इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।